वो आई थी रात बनकर
दिल बहलाने को
दिल तो बहल गया
छोड़ गई रात तड़पाने को।
चुभते रहे
तेरी यादों के वो नश्तर
दर्द दिल के छिपाने को।
आरजू थी एक पल
साथ रहने की,
छोड़ गई
दुनिया के मैंदा में,
शिकस्त खाने को।
देख रहा राह
उस अजनबी के लौट आने की।
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