ख्वाबों की कश्ती वो ले चले
किनारे को अकेला छोड़,
उदास सा चेहरा लिए
देखता, सहता रहेगा थपेड़े
तेरी यादों की लहरों के ।
देखती रहेंगी वो गुमनान सी आंखें
इस किश्ती के लौट आने की राह में,
कब मिलेगी गले किनारे से
उसके दामन में समाने के लिए ।
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bahut sundar kya bat hain
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