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Thursday 8 November 2012

क्षणिकाएं...



दूरियां की काफी दी,
एक झलक पाने के लिए।
नजदीकियां तो और भी
तरसा देंगी एक झलक पाने के लिए।
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आँखों के तरकश में
अनगिनत तीर नयनों के,
चढ़े पलकों की कमान पर है,
झेलने वाला कोई नहीं
आओ इन्‍हें उतार दें।
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