किसी और समय के
लिए
उठाकर रख छोडि़ए,
शेष बीते पलों को
याद करने के लिए।
रूह बन रही है
यादें तुम्हारी
छोड़ आए जो पीछे
बीते पलों के सभी
निशां मिटाने के
लिए।
परदे सा लटकता
आँचल
तेरे
कूचे में देख
बैचेन
हो जाते हैं
बहने के लिए।
जैसे
आंसूओं का
मंदिर
में अर्ग कोई।
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