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Saturday 22 December 2012

आ जाओ....


आ जाओ
विरह के मौसम ने
चकरोर बना दिया।
तुम चंदा की
चांदनी बनकर आ जाओ।
मिन की प्‍यास ने
चातक बना दिया
तुम बिन बादल की
बरसात बन कर आ जाओ।
तुन्‍हाई की रात
सोने नहीं देती,
तुम बिन ख्‍वाब की
निंदिया बन कर आ जाओ।
तुम्‍हारी खुरबत
शिकस्‍त दे रही रही है
तुम जीत मेरी
‘’विजय’’ बन कर आ जाओ।
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