लजरते आंसूओं से
भीगे दामन में पनाह दे दो
सूरज की सुनहरी
बनकर गर्म किरणें
समाने दो भीगे दामन में।
सोख लूंगा बहने
सभी आंसूओं को
रोक लूंगा बहते आंसूओं को
नयनों में अपने पनाह दे दो।
अपने मन मंदिर में
आसरा दे मुझे दो,
हम भी दु:खों में
हमसफर हो लेंगे
अपने आंचल में पनाह दे दो।
बचा लूंगा इन्हें
किसी के सामने
गिरने से
लरजते आंसूओं से
भीगे दामन में पनाह दे दो।
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