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Friday 7 December 2012

लरजते आंसू


लजरते आंसूओं से
भीगे दामन में पनाह दे दो
सूरज की सुनहरी
बनकर गर्म किरणें
समाने दो भीगे दामन में।
सोख लूंगा बहने
सभी आंसूओं को
रोक लूंगा बहते आंसूओं को
नयनों में अपने पनाह दे दो।
अपने मन मंदिर में
आसरा दे मुझे दो,
हम भी दु:खों में
हमसफर हो लेंगे
अपने आंचल में पनाह दे दो।
बचा लूंगा इन्‍हें
किसी के सामने
गिरने से
लरजते आंसूओं से
भीगे दामन में पनाह दे दो।
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