कुछ जिन्दगी यूँ कटी पहले
न काँटों पर थी न फूलों पर
अब यू कट रही जिन्दगी
लुड़कते राह के पत्थर की तरह।
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शामिल होगा जब वो क्षण
सज जाएगी महफिल जिन्दगी की
इन्तजार अब तो महफिल शुरू होने का
अब कोई पर्दा नशीं न आए
तो बज उठे बांसूरी जिन्दगी की।
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सदा मुस्कुराहट रहे जिन्दगी में
तुम्हारे चेहरे पर रहे
जैसे टोकरी की गोद में रखे
मुस्कुराते फूलों की तरह।
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वाह बहुत शानदार और क्षणिकाएं
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