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Sunday 10 March 2013

तुम्‍हारा रूप



तुम्‍हारा रूप ही
मेरे प्‍यार को
परिभाषित करता है।
तुम्‍हारा रूप ही
मेरे नयनों को प्रचुरता
प्रदान करता है।
तुम्‍हारे रूप की प्रचुरता
एक ठंढक के रूप में
मेरे हृदयांगन में
शीतल चांदनी के रूप में
उतरती है।
तुम्‍हारे ही रूप की
प्रचुरता से आलोकित
होता हृदयांगन और
सैंकड़ों दीपों की रौशनी से
दैदिप्‍यमान होता तन-मन।
आज भी तुम्‍हारा रूप
परिभाषित करता है
भूली-बिसरी यादों को।
तुम्‍हारा रूप इन हवाओं में
कुछ इस तरह घुला
कि यादों के झरोखों पर
पड़ी धूल को धो
फिर निखार दिया
तुम्‍हारे रूप को, 
और
फिर लिखी नई परिभाषा
तुम्‍हारे रूप की।
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3 comments:

  1. .बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति ."महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें" आभार मासूम बच्चियों के प्रति यौन अपराध के लिए आधुनिक महिलाएं कितनी जिम्मेदार? रत्ती भर भी नहीं . .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात WOMAN ABOUT MAN

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  2. Rakshendra Pratap Singh11 March 2013 at 15:12

    ultimate lines

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  3. बहुत खूबसूरत ! लाजवाब

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