नीम तले
रेशमी जुल्फों की छांव में
छनती सुनहरी धूप
तुम्हारी बाहों में।
बहती पुरवाई
नरम धूव पर
एक सुकून की तलाश
तुम्हारे मखमली आंचल में।
पल-पल गुजरता गया
अनजानी सी चाह लिए
एक सन्नाटा
घड़ी की चाल में।
सुलगती सी दोपहर
मुरझाई सी शाम
नहला गई चांदनी
सियाह रात में।
न सुर सजे
न साज बजे
खूब सजी महफिल
तुम्हारी इन अदाओ में।
न वो नज़र आए
न आने की खबर
उदासी ओढ़ चली
इन विरान राहों में।
धूप इन्तजार करती रही
कहीं छांव तो आए
उनके आने की खबर
हो इन हवाओं में।
थकी निगाहें
पथ पर, पथिक पर
भीड़ में एक चेहरा
नज़र तो आए
इन निगाहों में।
हवा का एक झौंका
थी खबर उनके आने की
एक झलक और ओझल हो गई
मेरी गली की इन राहों में।
-----
No comments:
Post a Comment