Click here for Myspace Layouts

Friday 11 January 2013

किसके लिए



अधरों पर रखे पैमाने
मौन क्‍यों हैं
अश्‍कों से पिला दे साकी
मयखाने किसके लिए हैं ?

बयां यू करते हैं,
हम दिले दास्‍तां
किताबों में लगे पन्‍ने
मौन क्‍यों है
सूखे फूल इसमें
आखिर रखे किसके लिए हैं ?

पतंगों के जलने का सबब
हमसे न पूछो यारों
जल रही बाती मौन क्‍यों है?
मन मंदिर के गलियारे में
आखिर चराग जलाए किसके लिए हैं ?

माथे पर सजी बिंदिया
होठों पर लाली रचाए किसके लिए हैं?
सोलह श्रंगार किए
जूड़े में वेणी,
आखिर लगाए किसके लिए हैं ?

दर्द दिल में छिपाए
झरोखों से झांकती
खामोश जुबां, लरजते होठ
नयनों में भर नीर आए,
आखिर किसके लिए हैं ?
-------

1 comment:

  1. बहुत ही सुंदर रचना .....

    ReplyDelete