Click here for Myspace Layouts

Monday 15 October 2012

स्‍वप्‍न कर्म


हर रात तेरे नाम से जवां है
जन्‍म देती है स्‍वप्‍नों की टोली को,
खींच ले जाती है यादे तेरी
जिन्‍दगी के मंच पर,
जानकर भी खेल नहीं पाते
नाटक खेलना सिखा दिया।
सूरज की पहली किरण ला पटकती है
दुनिया की चमकीली रेत पर,
करवटे बदलते बदलते
छोड़ देना पड़ा काली रात का आंचल,
खो जाते है आकर
दुनिया की भीड़ में,
नई कल्‍पनाओं को जन्‍म देने के लिए।
----

1 comment: