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Thursday 18 October 2012

दुनियां के लिए

अपनी दोनों आंखों के,
सपने दे दो मुझे।
खुशियां तुम जमाने भर की,
जिन्‍दगी से मेरी ले लो मुझसे।
न करना गिला अपनों से,
सहारा अपनों का ले लो मुझसे।
न देखो जमाने की तरफ
रफ्तार वक्‍त की बहुत है।
देखो निगाहों से मेरी,
दुनिया की टोक बहुत है।
बनाना दुनियां को अपना है,
शक का पर्दा हटा दो
अपने लिए नहीं दुनियां के लिए।
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