चन्द लम्हों का सफर
तय तेरे साथ करते रहे।
साथ देते रहे हर पल,
नज़दीकियों में हम ढलते रहे।
गमों का जोर था,
खुशियों पर छाया
मातम,
जनाज़ा गमों का
निकाल
खुशियों को जन्म
देते रहे,
गमों को पैसों से
तोल
खुशियां प्यार की
बटोरते रहे।
हर बात, हर मिलन
यादों के कागज पर
हम लिखते रहे।
बदचलन दुनियां की
निगाहों के,
नश्तर हम सहते
रहे।
परखन सके हम
अपनों से दूर
होकर,
नजदीकियों के साए
उजाले से अंधरों में
क्यों चले गए।
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